बोध कथाएं

लक्ष्मीजी कहाँ रहती है | लक्ष्मी मैया की कहानी

एक गाँव में एक बूढ़े सेठजी रहते थे । सेठजी के पास पुरखों का खूब सारा धन था और उनका व्यवसाय भी अच्छा चल रहा था । पुरे गाँव में सेठजी की अमीरी के चर्चे चलते थे । लेकिन सेठजी स्वभाव के बड़े ही नेक दिल और नम्र व्यक्ति थे । धन – धान्य से […]

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महाराजा शिवि की दयालुता | राजा शिबि और दो पक्षियों की कहानी

पुरुवंश में जन्मे उशीनर देश के राजा शिवि बड़े ही परोपकारी और धर्मात्मा थे । जो भी याचक उसने द्वार जाता था, कभी खाली हाथ नहीं लौटता था । प्राणिमात्र के प्रति राजा शिवि का बड़ा स्नेह था, अतः उनके राज्य में हमेशा सुख – शांति और स्नेह का वातावरण बना रहता था । राजा

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दया का प्रदर्शन नहीं, पालन करें | दयालुता पर कहानी

एक राजा को दयालु और दानवीर कहलाने का बड़ा शौक था । दूसरों के मुख से आत्म प्रशंसा सुनने की उसकी ललक दिन – प्रतिदिन बढ़ती जा रही थी । वह प्रतिदिन यश और प्रशंसा बटोरने के लिए कोई न कोई अनोखा कार्य करता था ।   एक दिन राजा नगर की सैर को जा

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शाश्वत सुख – शांति और सफलता का रहस्य | प्रेरणादायक कहानी

एक बुजुर्ग किसान मनीराम के दो बेटे थे । नाम था संकल्प और विकल्प । जब किसान का अंत समय नजदीक आया तो सोचा संपत्ति का बंटवारा कर जाऊ, वरना बाद में ये दोनों लड़ेंगे । अतः बुजुर्ग किसान ने अपने दोनों बेटों में बराबर संपत्ति का बंटवारा कर दिया । बुजुर्ग किसान जल्द ही

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प्रेम की कीमत क्या है | एक प्रेम कहानी

एक गाँव में एक विद्वान ब्राह्मण रहता था । ब्राह्मण की धर्म पत्नी तो कुछ साल पहले एक बीमारी की चपेट में आकर परलोक सिधार गई । लेकिन ब्राह्मण की एक सुन्दर और सुशील बेटी थी, जिसका नाम चंद्रप्रभा था । ब्राह्मण अपनी बेटी से बहुत प्रेम करता था और वह उसके लिए एक योग्य

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टाइगर स्वामी की कहानी | संकल्पशक्ति की तीव्रता

बाघ स्वामी की कहानी परमहंस योगानन्द जी ने अपनी पुस्तक योगी कथामृत में इस कहानी का विस्तार से वर्णन किया, जो संक्षेप में आपके सामने प्रस्तुत है । यह बात परमहंसजी के बचपन की है, जब वह अपने हाई स्कूल के मित्र चण्डी के साथ अक्सर ऐसे विशिष्ट योगी और संतो से मिलने जाया करते

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गालव मुनि का हठ | राजा ययाति की पुत्री माधवी की कहानी

एक पौराणिक कथानक है । एक बार महर्षि विश्वामित्र सौ वर्षों तक एक जगह तपस्या में खड़े रहे । इस दौरान उनके शिष्य गालव मुनि ने महर्षि विश्वामित्र की सेवा – सुश्रूषा की । इससे महर्षि विश्वामित्र ने संतुष्ट होकर गालव मुनि से कहा – “ वत्स गालव ! अब मैं तुम्हें आज्ञा देता हूँ

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भगवान की माया | देवर्षि नारद की कहानी

एक बार नारदजी मृत्युलोक का भ्रमण कर रहे थे । मृत्युलोक में दुःख, शोक और संताप से पीड़ित मानवता को देखकर नारदजी बड़े दुखी हुए । वहाँ से नारदजी सीधे विष्णुलोक पहुँचे और भगवान विष्णु से बोले – “ प्रभु ! मृत्युलोक पर बहुत दुःख, शोक और संताप है । आप उनके कल्याण के लिए

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धनवान बनने का आध्यात्मिक रहस्य | आध्यात्मिक कहानी

किसी के पास बहुत अधिक धन होने से वह धनवान नहीं हो जाता, बल्कि जिसका ह्रदय बड़ा होता है, वही असली धनवान होता है । ह्रदय बड़ा होने से मतलब है – “दूसरों को खुश देखकर ख़ुशी होना और दूसरों को दुखी देखकर दुखी होना ।” जब आपकी करुणा जाग पड़े तो समझो, कि आप

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गौ वंश की महिमा | राजा दिलीप की कथा

रघुवंश का आरम्भ राजा दिलीप से होता है । जिसका बड़ा ही सुन्दर और विशद वर्णन महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य रघुवंशम में किया है । कालिदास ने राजा दिलीप, रघु, अज, दशरथ, राम, लव, कुश, अतिथि और बाद के बीस रघुवंशी राजाओं की कथाओं का समायोजन अपने काव्य में किया है । राजा दिलीप

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