June 2018

गंगाजी में धोया पाप कहाँ – कहाँ तक जाता है | एक शिक्षाप्रद कहानी

एक बार किसी गाँव में एक महात्मा सत्संग कर रहे थे, तभी कहीं से एक चोर आकर सत्संग में बैठ गया । महात्मा के सत्संग का इतना प्रभाव हुआ कि चोर को अपने पाप कर्मों से घृणा होने लगी । सत्संग समाप्त होने के बाद चोर महात्मा के पास गया और अपने पापों के प्रायश्चित […]

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हर चीज़ का सदुपयोग करें | महात्मा बुद्ध का उपदेश

यह उस समय की बात है, जब महात्मा बुद्ध के शिष्यों की मंडलियाँ अलग – अलग विहारों में रहा करती थी । उनके भोजनादि अन्य साधनों की देख – रेख स्वयं बुद्ध करते थे । एक दिन तथागत के एक शिष्य के वस्त्र पुराने होकर फट गये । वह तथागत के पास गया और सकुचाते

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अवसर की पहचान | दो लघु शिक्षाप्रद कहानियाँ

हमारी परेशानी की सबसे बड़ी वजह यह है कि हमें अवसर की पहचान नहीं है । हममें से अधिकांश लोग या तो भूत में जीते है या भविष्य में और इसी कश्मकश में वह वर्तमान का आनंद नहीं ले पाते है । आज को आज ही यदि अच्छे से जिया जाये तो आनेवाला कल अपने

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सच्चा आत्मज्ञानी कौन | आत्मज्ञान की कहानियाँ

एक बार काकभुशुण्डि जी के मन में यह जिज्ञासा हुई कि “ क्या कोई ऐसा दीर्घजीवी व्यक्ति भी हो सकता है, जो शास्त्रों का प्रकाण्ड विद्वान हो, लेकिन फिर भी उसे आत्मज्ञान न हुआ हो । अपनी इस जिज्ञासा का समाधान पाने के लिए वह महर्षि वशिष्ठ से आज्ञा लेकर ऐसे व्यक्ति की खोज में

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महात्मा बुद्ध का उपदेश | परमज्ञान की तीसरी मंजिल

एक बार एक नवयुवक ने आत्मबोध करने के लिए महात्मा बुद्ध से दीक्षा ली । उसने दीक्षा तो ले ली लेकिन कई दिन बीतने पर भी उसे आत्मबोध नहीं हुआ । प्रतिदिन वो बुद्ध के उपदेश सुन – सुनकर बोर होने लगा । आखिर एक दिन उसने सोचा कि “ ये सब पागल है जो

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माला में 108 मनके ही क्यों होते है | Why 108 Beads in Mala in Hindi

किसी भी प्रकार की साधना और उपासना में मन्त्र जप का अपना ही अलग स्थान है । वैदिक मन्त्रों से लेकर प्रचलित राम, कृष्णा आदि कोई भी मन्त्र क्यों न हो, माला के माध्यम से मन्त्र जप को प्रभावी बनाया जाता है । वैसे मन्त्र जप बिना माला के भी किया जा सकता है, लेकिन

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संत तुकाराम के जीवन के प्रेरक प्रसंग

भगवान का दिया मिल बांटकर खाना चाहिए एक दिन संत तुकाराम किसी काम से बाजार जा रहे थे तो धर्मपत्नी ने बाजार से गन्ने लाने के लिए कहा । अपना काम निपटाकर गन्ने ख़रीदे और घर की ओर चल दिए । तुकाराम ने गन्ने लेकर गाँव में प्रवेश किया और गाँव के बच्चे मिलने लगे

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कर भला तो हो भला | परोपकार का फल पर कहानी

बचपन में ही दादा – दादी का साया छीन गया । जवान होते – होते माँ – पिताजी एक दुर्घटना में चल बसे । ना भाई का सहारा न बहन का प्यार, ऐसे जी रहा था आनंद कुमार । आनंद एक ऐसा युवक जिसका इस दुनिया में कोई नहीं, लेकिन दिल ऐसा कि सबको अपना

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आत्म शक्ति का स्त्रोत क्या है | एक रोचक कहानी

शायद यह प्रश्न आपके दिमाग में अवश्य आया होगा कि “आत्मशक्ति का स्त्रोत क्या है ?” या “हमारे अन्दर किसी काम को करने की शक्ति कहाँ से आती है ?” कंफ्यूज मत होना, यहाँ शक्ति और आत्मशक्ति से हमारा मलतब एक ही है ।   अगर इसका सरल शब्दों में जवाब दिया जाये तो “आत्मा

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महाभारत के कर्ण का जन्म कैसे हुआ | नर और नारायण के अवतार की एक रहस्यमयी कथा

यह प्रश्न आपके दिमाग में अवश्य आये होंगे कि महारानी कुंती का ज्येष्ठ पुत्र और परम तेजस्वी सूर्य का अंश होते हुए कर्ण को महाभारत में इतना अपमान और ज़िल्लत क्यों सहनी पड़ी ? आखिर ऐसी कोनसी दुश्मनी थी अर्जुन और कर्ण में जो उसने कभी भी अपने बड़े भाई को सम्मान की दृष्टि से

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