समाज में भूत – प्रेतों को लेकर बहुत सारी भ्रांतियां विद्यमान है । कभी – कभी तो किसी स्थान या व्यक्ति विशेष में भूत या प्रेतात्मा होने की घटना हर किसी के सुनने में आती है । कहीं – कहीं तो किसी औरत के डायन होने की बात भी सुनने में आती है । किसी ने कम, तो किसी ने ज्यादा, लेकिन हर किसी ने भूत – प्रेतों के बारे में देखा – सुना जरुर है ।
अब प्रश्न उठता है – क्या भूत – प्रेत होते है ?
भूत – प्रेत होते है अथवा नहीं ! यह निश्चित करने से पहले मैं आपको बताना चाहूँगा कि जिन लोगों ने भुत –प्रेतों को देखा है अथवा देखने का दावा करते है । अक्सर ये देखा गया है कि वे लोग मानसिक रूप से बीमार होते है । जो सुनने में विश्वास रखते है, वो अपनी आस्थाओं से ठगे जाते है । ऐसे मानसिक विकृतियों से ग्रसित लोगों की बातों को सुनकर भुत – प्रेतों के अस्तित्व को स्वीकार नहीं किया जा सकता ।
बहुत से लोग ऐसे है, जो यह दावा करते है कि उनकी किसी प्रेत आत्मा से दोस्ती है, लेकिन मैंने आजतक कोई ऐसा व्यक्ति नहीं देखा जो यह प्रमाणित कर सके । इसलिए मैं आपसे भी कहना चाहूँगा कि ऐसे अन्धविश्वास से ग्रसित लोगों से दूर रहे । जब तक कोई ठोस सबूत पेश ना कर दे, तब तक किसी की सुनी – सुनाई बातों पर विश्वास करके भूतों से डरने की कोई आवश्यता नहीं ।
लेकिन प्रश्न अब भी ज्यों का त्यों बना हुआ है । क्या भुत – प्रेत होते है ?
हाँ होते है ! लेकिन आपको डरने की कोई आवश्यकता नहीं । कैसे होते है ? और क्या होते है ? यह मैं आपको विस्तार से बताने वाला हूँ ।
भुत – प्रेत कैसे और क्या होते है ?
हम सभी जानते है – इस दुनिया में रहने वाला हर इंसान एक दिन यह भौतिक शरीर छोड़ देता है । अब यह अलग बात है कि वह शरीर स्वेच्छा से छोड़ता है या अनेच्छा से ।
मान लीजिये ! आप लम्बे समय से किसी किराये के मकान में रह रहे है । आपने उस मकान में अपनी पसंद की हर चीज़ उपलब्ध की, और एक दिन कोई अचानक से आकर आपको कहे कि मकान छोड़ना पड़ेगा, तब आपको कितनी पीड़ा होगी । ठीक यही बात शरीर के विषय में है ।
जन्म से लेकर अब तक आपका इस शरीर के प्रति बहुत लगाव हो चूका होता है । जरा सोचिये ! आप अच्छा खाते है । किसके लिए ? आप अच्छा पहनते है । किसके लिए ? आप सुबह से लेकर शाम तक विभिन्न कार्यों में लगे रहते है । किसके लिए ? निश्चित ही शरीर के लिए !
जब इतना लगाव होते हुये तथा मरने की इच्छा ना होते हुये भी शरीर छुट जाता है तो शरीर का यह मोह ही उसे प्रेतात्मा बना देता है ।
मृत्यु के बाद क्या होता है ?
मृत्यु क्या है ? यह आप जानते है । स्थूल शरीर का त्याग ही मृत्यु है । अर्थात त्यागने वाले का भी कोई अस्तित्व है । भूल गये ? आप मकान नहीं, मकान में रहने वाले है । वह त्यागने वाला ही आत्मा है ।
भौतिक शरीर नष्ट होने के बाद आत्मा सूक्ष्म शरीर में चली जाती है, जब तक कि उसे एक और नया शरीर नहीं मिल जाता । अब प्रश्न उठता है – नया शरीर मिलने तक आत्मा कहाँ रहती है ?
नया शरीर मिलने तक आत्मा कहाँ रहती है ?
जिस तरह भौतिक शरीर धारी आत्माओं के लिए भौतिक जगत है । ठीक उसी तरह सूक्ष्म शरीर धारी आत्माओं के लिए सूक्ष्म जगत है । जो हमारे इस स्थूल जगत से छुपा हुआ है । वहाँ रहने वाली सूक्ष्म शरीर धारी आत्मायें प्रकाश की तरह चमकती है । आमतौर पर सूक्ष्म शरीर होते तथा अपने ही क्षेत्र में सीमित होने के कारण वह हमारे लिए अदृश्य बने रहते है । यही अदृश्य आत्मायें प्रेतात्माएं कहलाती है ।
जैसा की हमने ऊपर की पंक्तियों में बताया है । शरीर और संसार से आसक्ति ही मनुष्य के प्रेतात्मा बनने का कारण है । अब प्रश्न उठता है – क्या प्रेत आत्मायें केवल बुरी होती है ?
क्या प्रेत आत्मायें केवल बुरी होती है ?
जिस तरह भौतिक जगत में अच्छे और बुरे दोनों ही प्रकार के मनुष्य होते है । उसी तरह सूक्ष्म जगत में भी अच्छी और बुरी दोनों प्रकार की प्रेतात्माएं निवास करती है ।
सूक्ष्म जगत की अच्छी आत्मायें लोगों को ऊँचा उठाने और आगे बड़ाने में सहायक होती है । जबकि बुरी आत्मायें संसार के प्रति आसक्ति होने के कारण किसी कमज़ोर मन वाले शरीर को वश में करके अपनी अतृप्त इच्छाओं को पूर्ण करने की कोशिश करती है ।
लेकिन डरने की कोई आवश्यकता नहीं, क्योंकि इन दुष्ट आत्माओं के पास कोई ऐसी विलक्षण शक्ति नहीं होती जिससे यह आपका नुकसान कर सके । ये केवल आपको डरा सकती है । इसीलिए अधिकांश कमज़ोर मनोबल के व्यक्ति ही भुत – प्रेतों से ग्रसित पायें जाते है ।
जब तक डर सामने ना आ जाये, उससे डरने की क्या आवश्यकता !
जब डर सामने आ ही गया है तो डरने के बजाय उसका सामना करों ।
– स्वामी रामतीर्थ
भुत – प्रेतों के बारे में जानने के बाद आपको उनसे डरने की नहीं, उनका सामना करने की जरूरत है । अपने मन को कमज़ोर मत होने दीजिए । अपने मन के डर को काबू करने की कोशिश करिये । क्योंकि भुत – प्रेत हो ना हो, यदि मन में डर हुआ तो आप स्वयं अपना नुकसान कर लेंगे ।
अपने मस्तिष्क को हमेशा सद्विचारों से भरिये, अच्छी प्रेरणाओं से भरिये । इसके लिए जब भी समय मिले अच्छी पुस्तकों का स्वाध्याय और योग का अभ्यास कीजिए । यदि इतना आप कर सके तो दुनिया का कोई भुत आपका कुछ नहीं बिगाड़ पायेगा ।
यदि आपने अपने मन को मजबूत नहीं बनाया और मस्तिष्क को अच्छे विचारों से नहीं भरा तो जान लीजिये, कब आपके मन पर किस विचार का अधिकार होगा ? कुछ कहा नहीं जा सकता !
यह मन आपका है, यह शरीर आपका है । इसलिए सब तरह से इसकी रक्षा करना आपका कर्तव्य है । जिस तरह जब कभी आप बाहर जाते है तो अपने घर पर ताला लगाकर निकलते है तो फिर आप अपने मन को कैसे खुला छोडकर घूमते रह सकते है ?
मुझे आशा है ! यह लेख आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगा । यदि आपका कोई प्रश्न हो तो नीचे टिप्पणी स्थान पर आपका स्वागत है ।
kya mai bhoot ko dekh sakta hun
शीशे में देख ले