बोध कथाएं

अपूर्व संयम और सहिष्णुता की कहानी

अपने कुशल प्रशासन और बोद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में सम्राट अशोक इतिहास प्रसिद्ध है । उनके दो रानियाँ थी – देवी, पद्मावती, कारुवाकी और तिष्यरक्षिता । सम्राट अशोक को रानी पद्मावती से एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम राजकुमार कुणाल रखा गया । राजकुमार कुणाल बड़े ही विनम्र, आज्ञाकारी और पितृभक्त […]

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आत्मज्ञान का स्वाद | दूध की मिठाई की कहानी

एक बार एक पंडित जी हीरापुर नाम के गाँव में शादी करवाने जा रहे थे । रास्ता लम्बा था और पंडित जी के पास कोई साधन भी नहीं था । पंडित जी बूढ़े भी हो चले थे, इसलिए जगह – जगह पेड़ों की शीतल छाव में विश्राम करते हुए जा रहे थे ।   पंडित

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अर्जुन की निष्ठा | महाभारत की कहानी

महाभारत का एक प्रसंग है । तब पांडव अज्ञातवास काट रहे थे । पृथापुत्र अर्जुन का नियम था कि वह प्रतिदिन भगवान शिव का पूजन करके ही भोजन ग्रहण करते थे । इसके साथ ही सभी पांडव भाइयों का नियम था कि एक साथ ही भोजन करेंगे । एक दिन भोजन का समय हो चला

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डाकू रत्नाकर और देवर्षि नारद की कहानी

एक पौराणिक कथानक है । एक समय की बात है रत्नाकर नाम का एक डाकू (दस्यु) हुआ करता था । अपने परिवार के भरण पोषण के लिए रत्नाकर चोरी, लूटपाट और राहगीरों की हत्या भी करता था । एक बार एक श्रेष्ठी जंगल के रास्ते से पालकी में बैठकर जा रहा था । घने जंगलों

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दानवीर कर्ण की उदारता | महाभारत में कर्ण की कथा

महाभारत का दृष्टान्त है । एक बार भगवान श्रीकृष्ण पांडवो के बीच बातों ही बातों में कर्ण की दानवीरता और उदारता की बड़ी प्रशंसा कर रहे थे । कर्ण की प्रशंसा बार – बार सुन अर्जुन ईर्ष्या से जलने लगा ।   अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा – “ मधुसुदन ! आप जानते है

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मृत्यु से भय क्यों – राजा परीक्षित की कथा

सातवें दिन मरने वाले राजा परीक्षित को शुकदेवजी श्रीमद्भागवत सुना रहे थे । छः दिन हो चुके थे और अगले ही दिन राजा परीक्षित को तक्षक नाग डसने वाला था । छः दिन तक श्रीमद्भागवत सुनने के बाद भी राजा का शोक और भय दूर नहीं हुआ । राजा का विचलित मन देख शुकदेवजी ने

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दान का आनंद – राजा रन्तिदेव की कथा

कुछ लोगों में करुणा इस तरह समाई होती है कि उन्हें सभी प्राणियों में करुणानिधि दिखाई देते है । ऐसे ही एक महान राजा ने भारत वर्ष में जन्म लेकर इस धरा को धन्य किया है । राजा संकृति के पुत्र रन्तिदेव । राजा रन्तिदेव बड़े ही प्रतापी, साहसी, न्यायप्रिय, धर्मं परायण और दानी थे

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निष्काम प्रेम ही सच्ची भक्ति है

एक गाँव में एक बूढ़ी माई रहती थी । माई का आगे – पीछे कोई नहीं था इसलिए बूढ़ी माई बिचारी अकेली रहती थी । एक दिन उस गाँव में एक साधू आया । बूढ़ी माई ने साधू का बहुत ही प्रेम पूर्वक आदर सत्कार किया । जब साधू जाने लगा तो बूढ़ी माई ने

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विश्वासघात की कहानी

एक बार की बात है । एक गाँव में तीन मित्र रहते थे । नाम था – अपूर्व, आनंद और अमिश । तीनों हमेशा साथ – साथ रहते थे । उनके सपने बड़े – बड़े थे लेकिन उन्हें पूरा करने के लिए उनके पास पर्याप्त धन नहीं था । इसलिए वह अक्सर तूर्त – फूर्त

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मोह माया से मुक्ति कहानी

प्रेम का रूपांतरण स्त्रियाँ स्वभाव से ही कोमल होती है इसलिए जब उनके सौन्दर्य और गुणों का वर्णन किया जाता है तो विद्वान कवि सर्वोत्तम कोमल वस्तुओं के अलंकार प्रस्तुत करते है । स्त्रियाँ साक्षात ममता और प्रेम का सागर होती है । इसी को दर्शाने वाली यह कहानी आपको जीवन के एक नये सत्य

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