अपना स्वभाव बदले – दो लघुकथाएं

“जैसा आपका स्वभाव होता है, वैसा ही आपका प्रभाव होता है” – इस तथ्य के सत्य को यदि आप परखना चाहते है तो सूक्ष्म दृष्टि से स्वयं का या अपने निकटवर्ती लोगों का अध्ययन करना शुरू कर दीजिये । आप पाएंगे कि यह बात शत प्रतिशत सत्य है । लेकिन कैसे ? आइये जानते है […]

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स्वामी विवेकानंद के प्रेरक प्रसंग

स्वामीजी की स्पष्टवादिता बालक नरेंद्र किशोरावस्था से ही ईश्वर प्राप्त गुरु की खोज में थे । पढ़ने – लिखने में तो वह अव्वल थे ही लेकिन ‘ईश्वर की खोज’ उनके लिए एक ऐसी अबूझ पहेली बनी हुई थी, जिसका जवाब वह जिस किसी साधू संत को देखते, उसी से पूछने लगते कि – “ क्या

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प्रकृति का उपहार – प्रतिध्वनि | वनपरी की कहानी

एक गाँव में मनोज नाम का एक लड़का रहता था । घर में माँ – पिताजी, दादा – दादी, भाई – बहिन सब कोई थे, लेकिन जैसे – जैसे उम्र बढ़ती गई, मनोज की अपने परिवार से दूरियाँ भी बढ़ती जा रही थी । वह अपना ज्यादातर समय अकेला या दोस्तों के साथ बिताता था

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अंधविश्वास का जन्म कहानी

एक गाँव से थोड़ी ही दूर जंगल में एक गुरूजी और उनके शिष्य कुटिया बनाकर रहते थे । उस जंगल में चूहों का बड़ा भारी आतंक था । आये दिन चूहे रात्रिकालीन समय में गुरूजी की कुटिया पर आक्रमण करते और अनाज बिखेर देते थे । कुछ नहीं मिलता तो धार्मिक ग्रंथो को कुतर कर

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जीवन की महत्ता हिंदी कहानी

एक नगर में एक बड़ा ही चतुर और बुद्धिमान सेठ रहता था । अपनी चतुरता के रहते सेठ ने खूब धन – दौलत कमाई । घर में भी धन – धान्य की कोई कमी नहीं थी । तिजोरियाँ स्वर्ण मुद्राओं और आभूषणों से भरी पड़ी थी । सेठ के घर में केवल तीन सदस्य थे

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झूठा प्रेम एक कहानी | प्रेम की परीक्षा

एक नगर में एक सिद्ध महात्मा रहते थे । आत्मज्ञान की खोज में भटकता हुआ एक नवयुवक एक दिन उनके पास आया । महात्माजी की एक शर्त थी कि वह उसे आत्मज्ञान का उपदेश तभी देंगे, जब उसे योग्य समझेंगे । इस तरह वह युवक कुछ दिन के लिए उन्हीं के आश्रम में रहकर उनकी

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अंतःकरण चतुष्टय क्या है | मन बुद्धि चित्त और अहंकार क्या है

मोटे तौर पर यदि देखा जाये तो मानव शरीर जड़ और चेतन का सम्मिलित रूप है । मानव शरीर के इन दोनों भागों को स्थूल और सूक्ष्म शरीर में बांटा जा सकता है । स्थूल शरीर के अंतर्गत हाड़ – मांस और रस – रक्त से बनी यह मानव आकृति आती है । लेकिन स्थूल

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मनोनिग्रह की अनोखी कहानी | बुद्धिमान की परीक्षा

एक राजा था । एक दिन उसने महामंत्री के सामने राज्य में ज्ञानियों की परीक्षा करने का प्रस्ताव रखा । इसके लिए महामंत्री ने महाराज को एक उपाय बताया । उस उपाय के अनुसार राजा ने एक हट्टा – कट्टा बकरा पाला और पुरे राज्य में घोषणा करवाई कि “जो कोई भी विद्वान इस बकरे

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अंधकूप के पांच प्रेत और आचार्य महीधर | दुष्कर्म से दुर्गति

आचार्य महीधर प्रतिदिन एक गाँव से दुसरे गाँव, एक नगर से दुसरे नगर भ्रमण करके लोगों को आत्मज्ञान, धर्म और वेदों का उपदेश दिया करते थे । एक दिन वह अपने शिष्यों की मंडली को लेकर एक जंगल से गुजर रहे थे । संध्या होने को आई थी और अमावस्या की रात होने से जल्दी

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पात्रता – एक अनिवार्य आवश्यकता | महर्षि कणाद और राजा उदावर्त की कहानी

आज हम जिस विषय पर चर्चा करने जा रहे है, उसकी किसी भी साधना की सफलता में बड़ी अहम् भूमिका है । उपासना और साधना में जितने भी कर्मकाण्ड किये जाते है, उन सबका मूल उद्देश्य केवल और केवल पात्रता का विकास है । अब आप सोच रहे होंगे कि ये पात्रता क्या बला है

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