जिस तरह सामान्य जीवन में कार्य करने वाली सभी मशीने गर्म होती है, जैसे आपका मोबाइल फोन, लैपटॉप आदि । ठीक उसी तरह मानव शरीर के कलपुर्जे भी एक निश्चित समयान्तराल के पश्चात् गर्म हो जाते है और शरीर थकान का अनुभव करने लगता है । यह एक अलग बात है कि किसी को थकान जल्दी होती है तो किसी को देर से ! किन्तु होती सबको है ।
थकान होने के कई कारण होते है, उसी के अनुरूप उनके अलग – अलग निवारण भी है । उन सबको फिर कभी चर्चा करेंगे । यहाँ तो मुझे केवल थकान उतारने का सबसे आसान और तूर्त – फूर्त तरीका बताना है, जो मैंने अपने जीवन में उपयोग किया है और काफी लाभान्वित भी हुआ हूँ ।
यह जरुरी नहीं कि थकान उतारने का केवल एक ही तरीका है, हो सकता है आपके पास मुझसे बेहतर तरीका हो, किन्तु जिसे मैंने सबसे बेहतर समझा वह मैं आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ ।
हमारे जीवन में थकान दो तरह से हो सकती है, एक तो शारीरिक और दूसरी मानसिक । जिस तरह शारीरिक थकान अत्यधिक और लगातार परिश्रम करने होती है, उसी तरह मानसिक थकान भी हर समय चिंताओं से घिरे रहने से अथवा मानसिक श्रम करने से होती है ।
हमें थकान कितनी जल्दी और देर से होती है यह हमारी आत्मिक, मानसिक और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है । किन्तु यदि इस तरीके को आप ठीक से समझ सके तो इन तीनों ही प्रकार की थकानों को आप १५-३० मिनट में आसानी से उतार सकते है ।
थकान उतारने का अभ्यास
जब कभी भी आप शारीरिक और मानसिक रूप से बहुत अधिक थकान का अनुभव करे, तो इस अभ्यास को करे । १५-३० मिनट में आप खुद को तरोताजा महसूस करेंगे और साथ ही आपको अपने अंतःकरण में एक अजीब सी शांति की अनुभूति होगी ।
सर्वप्रथम इस अभ्यास के लिए आप ऐसे स्थान का चुनाव करे, जहाँ किसी प्रकार का कोई कोलाहल ना हो । आपके आस – पास की जगह शांत – साफ सुथरी और हवादार हो तो सबसे अच्छा है । ऐसे स्थान पर जाकर कोई चटाई या दरी बिछा लीजिये ।
अब सामान्य सुखासन में बैठकर २ मिनट अपने मन को खाली कीजिए । मन को खाली करना आसान नहीं होता किन्तु यदि आपने कभी ध्यान का अभ्यास किया होगा तो आपके लिए यह आसान होगा । यदि आपको नहीं पता तो इन निर्देशों का पालन करें –
आसन में बैठने के बाद आँखे बंद करले, अब अपने विचारों को देखना शुरू करे, किसी विचार से चिपके नहीं । धीरे – धीरे किसी एक प्रिय विचार पर अथवा अपनी भृकुटी पर अपना सारा ध्यान केन्द्रित करे । धीरे – धीरे आपके सारे विचार समाप्त हो जायेंगे ।
“ध्यान का मूलमंत्र – दस विचारों को हटाने से बेहतर है, किसी एक विचार को पकड़ लिया जाये”
अब इस एक विचार पर स्थित मन के साथ सीधे लेट जाइये । यदि आप दोपहर का भोजन करके यह अभ्यास कर रहे है तो फिर आपको दायीं करवट लेकर सोना चाहिए । जिसमें आपकी दायीं की टांग का पंजा बायीं टांग के पंजे के ऊपर होगा । जो करवट लेकर सोने की प्राकृतिक अवस्था है ।
इस अवस्था में सोकर अपने मन को उस विचार पर स्थिर रखते हुये शरीर को धीरे – धीरे कड़क करके शिथिल छोड़ दे । भावना करे कि सम्पूर्ण शरीर की चेतना आपकी भ्रकुटी में समा गई है ।
इसी अभ्यास के साथ आपको एक गहरी नींद आएगी, जिससे उठने के बाद आपको अजीब सी शांति महसूस होगी । आपमें से कई मित्रों ने इस अभ्यास को जाने अनजाने किया होगा और लाभ लिया होगा, किन्तु यह थकान उतारने का सबसे मजेदार तरीका है ।
मैंने अपने जीवन में कई बार इसका अभ्यास किया है और अद्भुत परिणाम पाया है । मैं जब भी २-३ घंटे लगातार काम करता हूँ, थोड़ी देर लेटकर १५-२० मिनट इसका अभ्यास जरुर करता हूँ ।
कुछ लोगों का मानना है कि बार – बार लेटने से टाइम वेस्ट होगा किन्तु मैं दावे से साथ कह सकता हूँ कि आपके वह १५-२० मिनट की नींद आपकी कार्यक्षमता को इतना बढ़ा देगी की आप अगले ३-४ घंटे का काम १-२ घंटे में कर पाएंगे । किन्तु ध्यान रहे अभ्यास का समय नियत रहे । यदि आप अभ्यास के नाम पर आलस्य में आकर अतिरिक्त विश्राम कर रहे है तो वह समय की बर्बादी है ।
जब आप दृढ़ निश्चय करके १५-३० मिनट के लिए सोयेंगे तो आप नियत समय पर उठ जायेंगे । इस नींद से स्वेच्छा से उठा जाये तो सबसे अच्छा रहता है, किन्तु यदि आप नही उठ पाते है और कोई कार्य हर्ज नहीं हो रहा है तो आप ४० मिनट तक समय बढ़ा सकते है ।
विद्यार्थियों के लिए विशेषकर –
यदि आप विद्यार्थी है तो आपको आपनी पढाई के समय में हर ३-४ घंटे या एक विषय से दूसरा विषय बदलने के बिच १०-१५ मिनट के लिए इसका अभ्यास करना चाहिए । क्योंकि यदि आप लगातार पढ़ते रहते हो तो फिर आप ये जान लो कि आप केवल पढ़ रहे हो । क्योंकि केवल पढ़ते रहने से वह याद नहीं होगा । जबकि लाभ तभी है जब याद हो इसलिए बीच – बीच में रेस्ट लेना अनिवार्य रूप से आवश्यक है ।
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