आकर्षण शक्ति जिसे बोलचाल की भाषा में सम्मोहन शक्ति भी कहा जाता है, जो प्रत्येक प्राणी में विद्यमान होती है । किन्तु जिस प्राणी में जिस मात्रा और रूप में विद्यमान होती है, उसी के आधार पर उसकी पहचान होती है । विशेषकर आकर्षण शक्ति मनुष्य के प्राण तत्व पर निर्भर करती है । जिसमें प्राण विद्युत की मात्रा जितनी अधिक होती है वह उतना ही अधिक तेजस्वी, उत्साही, समुन्द्र की तरह शान्त व गंभीर, आशावादी, आत्मविश्वासी और प्रभावी होता है । उसकी इच्छा मात्र से लोग उसका अनुसरण करने लगते है । उसके शब्द इतने प्रभावी होते है जिन्हें सामान्यतया नकारा नहीं जा सकता । उसका संकेत इतना सटीक होता है कि वह बिना बोले ही अपनी बात समझा सकता है । उनके सभी कार्य सफल होते है । इसी आकर्षण शक्ति को ओजस, तेजस, ओरा, नूर, प्राणशक्ति आदि कहते है । हमारे सभी ऋषि – महर्षि और महापुरुष इसी स्तर के रहे है ।
इसके ठीक विपरीत जिनका प्राण तत्व जितना कम होता है वह उतने ही कमजोर और निराशावादी होते है । उनका कोई कार्य सफल नहीं होता तथा जीवन निरंतर अंधकारमय बनता जाता है ।
आकर्षण शक्ति का स्थान
जीवन की सबसे महत्तम चीजे हमेशा शीर्ष पर हुआ करती है । जैसे मनुष्य का दिमाग और सभी ज्ञानेन्द्रियाँ । वैसे प्राणशक्ति सम्पूर्ण शरीर में व्याप्त रहती है, किन्तु उसका मुख्य कार्य स्थल मनुष्य का सिर होता है । सिर के जो शीर्ष स्थल जैसे चेहरे और आंख में इसकी विशेषता पाई जाती है । इसके अतिरिक्त मनुष्य अपनी इच्छा से इसे हाथों और शरीर के किसी भी भाग में संप्रेषित कर सकता है । किन्तु जीवन के अधिकांश कार्य हाथों से होने के कारण हाथों में इसे संप्रेषित करना आसान रहता है ।
आकर्षण शक्ति के प्रयोग और लाभ
आकर्षण शक्ति का होना ही अपने आप में एक लाभ है । फिर भी आकर्षण शक्ति अर्थात सम्मोहन शक्ति से कई प्रकार के लाभ लिए जा सकते है । सम्मोहन शक्ति से किसी विशेष लाभ को पाने के लिए एक विशेष क्रियाविधि होती है, जिसे प्रयोग कहते है । इसका प्रयोग करके आप किसी के भी शरीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का सुधार करके समाज की महती सेवा कर सकते है ।
आकर्षण शक्ति का प्रयोग करने के लिए प्रयोगकर्ता का अभ्यस्त और प्राणवान होना अति आवश्यक है । सामान्य सी बात है, जिसके पास अतिरिक्त होगा वही तो दूसरों को दे सकेगा । इसलिए इस शक्ति को बढ़ाकर आँखों से त्राटक द्वारा, हाथों से मार्जन द्वारा और मस्तिष्क से शुभ संकल्पों के द्वारा शारीरिक और मानसिक चिकित्सा की जा सकती है । किन्तु यह ध्यान रहे कि पात्र – कुपात्र का भेद किये बिना ऐसे प्रयोग न करे, अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि होने की सम्भावना है ।
आकर्षण शक्ति बढ़ाने के नियम
शक्ति को तभी संग्रह किया जा सकता है जब उसके सिद्धांतो का पालन किया जाये । असल में सम्पूर्ण अध्यात्म ही सिद्धांतो पर टिका हुआ है और अध्यात्म क्या सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड ही नियमों से बंधा हुआ है । यदि आप नियम से चलते है तो आपको अवश्य लाभ होगा । यह सिद्धांत ही है जो यह निश्चित करते है कि हम शक्ति के लायक है अथवा नही ।
समय शक्ति के मिलने में नहीं, शक्ति के लायक बनने में लगता है ।
आकर्षण शक्ति के विकास के लिए शरीर का स्वस्थ और क्रियाशील होना अत्यंत आवश्यक है ।
ब्रह्मचर्य का पालन – किसी भी प्रकार की शक्ति साधना के लिए ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य रूप से आवश्यक है । ब्रह्मचर्य के अभाव में शक्ति की कल्पना करना दिन में तारे ढूंढने के बराबर है, जो कभी नहीं मिलने ।
संकल्प शक्ति – प्राणवान होने पर आकर्षण शक्ति संकल्प शक्ति में परिणत हो जाती है । अर्थात जो आप संकल्प करोगे, आकर्षण शक्ति उसे पूरा करने के लिए प्रयास करेगी ।
ईश्वर में श्रृद्धा और विश्वास, प्रेम और समर्पण
सदाचार और यम – नियमादि योग का अभ्यास
प्रतिदिन साधना और आसन – प्राणायाम, ध्यान – धारणा का अभ्यास
इन सभी नियमों का एक ही मतलब है – योग साधक का जीवन जीना । यदि इन नियमों का पालन किया गया तो आपकी आत्मशक्ति, आकर्षण शक्ति बढ़ेगी । इसके विपरीत पतन का मार्ग है ।
आकर्षण शक्ति बढ़ाने के उपाय और विधियाँ
नियमों का विवरण देने के पश्चात अब आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के उपायों की चर्चा करते है । आकर्षण शक्ति को बढ़ाने के कई उपाय है जिनकी अलग – अलग विधियाँ है । सभी विधियों पर एक साथ प्रयोग करना ठीक नहीं, इसलिए अपनी सुविधानुसार कोई एक विधि का चयन करके अभ्यास करें ।
यह लेख अभी अधुरा है ! जल्द ही पूरा किया जायेगा ।
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