बोध कथाएं

पर – दोष दर्शन का परिणाम | शिक्षाप्रद कहानिया

दूसरों के दोष देखने का परिणाम लोगों की स्वाभाविक मनोवृति होती है – दूसरों के दोष देखना ! यह बहुत ही बुरी आदत है । यदि कोई अपना है और उसके दोष देखकर उसमें सुधार का प्रयास किया जाये तो उत्तम है । किन्तु किसी दुसरे के व्यक्तिगत दोषों को देखना और उसने घृणा करना […]

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अप्रिय सत्य कभी ना बोले | विक्रम वेताल की कहानियाँ

हमेशा की तरह विक्रम ने वेताल को कंधे पर उठाया और चल दिया । रास्ता काटने तथा विक्रम का मन बहलाने के लिए वेताल ने एक कहानी सुनाना आरम्भ की ।   बहुत समय पहले की बात है । एक गाँव में एक बुढ़िया और उसका बेटा भोलू रहता था । बुढ़िया दिनभर मेहनत –

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स्त्री को कामिनी नहीं जीवन संगिनी समझे | Moral Story In Hindi

किसी ने सच ही कहा है – “ जवानी के जोश में जो अपने होश कायम रख लेता है वही बुढ़ापे में सुख पाता है ।” आजकल लोग स्त्री को जीवन साथी के रूप में कम कामिनी के रूप में अधिक देखते है । अधिकांश तो विवाह ही इसी उद्देश्य से करते है । किन्तु

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सत्कर्म का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता | महाभारत की एक शिक्षाप्रद कहानी

सत्कर्मों का फल देर से मिलने की वजह से लोग अक्सर दुष्कर्मों को अपना लेते है । किन्तु ऐसा करने वाले हमेशा याद रखे “ अपने किये हुए कर्म का फल जीव अवश्य भोगता है ” ऐसा गीता में कहा गया है । “ सत्कर्म का फल कभी व्यर्थ नहीं जाता ” यह इस छोटी

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कुण्डलिनी जागरण का अधिकारी – कहानी

कौन है जो कुण्डलिनी महाशक्ति के बारे में नहीं जानता ? शायद ही कोई हो जो कुण्डलिनी के बारे में नहीं जानता हो और कुण्डलिनी जागरण की अभिलाषा नहीं रखता हो ! आज के समय में हर कोई कुण्डलिनी के सामान्य परिचय से परिचित है । किन्तु जब बात पात्रता और अधिकार की जाती है

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धोबी का कुत्ता ना घर का रहा ना घाट का – एक शिक्षाप्रद कहानी

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक धोबी रहता था । आज की तरह ही उस समय भी अमीर लोगों के घरों में कपड़े नहीं धोये जाते थे । धोबी रोज सुबह – शाम धुले हुए कपड़े इकट्ठे करके गाँव में फेरी लगाता और धुले हुए कपड़े उनके मालिको को देकर मेले

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ईश्वर की प्राप्ति का उपाय

क्या आप ईश्वर से मिलना चाहते है ? यदि हाँ ! तो आपने अब तक ईश्वर मिलन के लिए क्या – क्या प्रयास किये है ?   एक दिन मुझे एक मित्र का सन्देश आया, जिसमे उसने लिखा था, “ मुझे ईश्वर से मिलने का रास्ता बताइये ।”   मैंने कहा – “ ठीक है

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धर्मं का मर्म एक हिंदी कहानी

हमसे यदि कोई पूछे कि “आपका धर्म क्या है ?” तो हम बहुत आसानी से उत्तर दे देते है, जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई । किन्तु यदि हमसें पूछ लिया जाये कि “धर्मं क्या है ?” तो अधिकांश लोगों के मुख से कोई जवाब नहीं निकलता । क्यों ? क्योंकि अब तक हमने अब तक

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शिवजी कहाँ से देते है – एक प्रेरणादायक कहानी

एक गाँव में भगवान शिव का परमभक्त एक ब्राह्मण रहता था। पंडितजी जब तक रोज सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर नित्यकर्मो से निवृत होने के पश्चात् भगवान शंकर का पूजन नहीं कर लेते, तब तक उन्हें चैन नहीं पड़ता था। जो कुछ भी दान दक्षिणा में आ जाता उसी से पंडित जी अपना गुजारा करते थे

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सामीप्य का लाभ | शिक्षाप्रद कहानियाँ

एक समय की बात है । एक नगर में एक ब्राह्मण रहता था । दिनभर ब्राह्मण एक गाँव से दुसरे गाँव और दुसरे से तीसरे गाँव भिक्षा के लिए जाता था । जो भी अन्न और धन उसे भिक्षा में मिल ता उसका एक हिस्सा अपने लिए उपयोग करता और बचा हुआ धन नगर के

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