हमेशा की तरह विक्रम ने वेताल को कंधे पर उठाया और चल दिया । रास्ता काटने तथा विक्रम का मन बहलाने के लिए वेताल ने एक कहानी सुनाना आरम्भ की ।
बहुत समय पहले की बात है । एक गाँव में एक बुढ़िया और उसका बेटा भोलू रहता था । बुढ़िया दिनभर मेहनत – मजदूरी करके घर का खर्च चलाती थी किन्तु उसका बेटा भोलू पक्का निकम्मा, आलसी और कामचोर निकला । दिनभर खटिया पर पड़ा सोता रहता और सपने देखता रहता था । खास बात यह थी कि भोलू जो सपना देखता वह सच हो जाता था । किन्तु उसकी एक आदत बहुत बुरी थी । वह जो भी सपना देखता था, खुले दिल से लोगों को बता देता था । उसकी इस आदत से गाँव के कई लोग उससे नाराज थे और उसे काली जुबान – अपशकुन आदि कहकर बुलाने लगे ।
एक दिन भोलू ने सपना देखा कि एक बारात जंगल से गुजर रही है, जिसे लुटेरों ने लुट लिया और दुल्हे हो मार दिया । तथी एक पड़ोसन अपनी बेटी के ब्याह का निमंत्रण देने आई । भोलू भी बाहर ही अपनी खटिया पर बैठा था । भोलू बोला – “ किस बात का निमंत्रण है ? काकी !” काकी बोली – “ मेरी बेटी की आज बारात आनेवाली है, उसका ब्याह है ।” भोलू को समझ में आ गया कि जो दूल्हा उसने सपने में देखा, हो ना हो वह उसी का जमाई होगा ।
भोलू बोला – “ ब्याह की तैयारियां करने के बजाय रोने – धोने की तैयारियां कर लो काकी ! क्योंकि बारात नहीं आनेवाली । रास्ते में बैठ कालिया डाकू आपके दामाद को लूटकर खत्म कर देगा । ये शादी तो हो ही नहीं सकती ।” भोलू की यह बात सुनकर काकी आग – बबूला हो गई और बड़ – बड़ाती हुई वहां से चली गई ।
थोड़ी ही देर बाद लोगों के रोने – धोने की आवाज सुनाई दी । भोलू अपनी माँ से बोला – “ देख माँ ! मैंने सही कहा था ना ! वो काकी मानती ही नहीं ।” माँ बोली – “ अरे मुर्ख ! तूने कहा तो सही परन्तु तेरे कहने का तरीका गलत है ।” किन्तु यह बात भोलू को कहा समझ में आनेवाली थी ।
एक दिन गाँव की महिला भोलू की माँ के पास बैठकर बड़ी ख़ुशी बातें कर रही थी । भोलू भी पास ही खटिया पर बैठा खर्राटे भर रहा था । उसने सपने में देखा कि एक व्यापारी नदी पार कर रहा था तो पैर फिसलने की वह से वह नदी में बह गया और उसकी मृत्यु हो गई । यह सपना देखकर भोलू की नींद खुली ।
भोलू ने देखा कि आज काकी बड़ी खुश दिखाई दे रही है । उसने पूछ लिया – “ क्या बात है काकी ? आज बड़ी खुश लगती हो !” काकी बोली – “ अरे हां भोलू ! आज तेरे काका विदेश से व्यापार करके घर लौट रहे है । इसलिए खुश हूँ ।”
भोलू बोला – “ खुश होना छोडिये काकी और रोने की तैयारी कीजिये । क्योंकि काका अब कभी नहीं आनेवाले । एक नदी के को पार करते समय पैर फिसलने से उनकी मृत्यु हो जाएगी ।” भोलू की माँ गुस्से में बोली – “ शुभ – शुभ बोल कम्बख्त ।” भोलू की यह बात सुनकर काकी की आँखों से अंगारे बरसने लगे । गुस्से में लाल होकर बोली – “ अगर मेरे पति जो घर नहीं आये तो तू भी इस गाँव में नहीं रहेगा ।
भोलू की माँ उसे डांटते हुए खुद को कोसने लगी – “ किस्मत फूटी थी मेरी जो तेरे जैसा बेटा पैदा हुआ । जब देखो तब लोगों को दुखी करता है ।” इतना कहकर वह अपना कार्य करने लगी ।
व्यापारी की पत्नी उसकी राह देख रही थी तभी एक व्यक्ति दोड़ता हुआ आया और बोला कि काकी काका नहीं रहे । उसकी आंखे फटी की फटी रह गई । वह सीधी लोगों को इकट्ठा करके भोलू के घर गई और बोली – “ बाहर निकल अपशकुनी ! तेरी वजह से हमने बहुत कुछ खोया है । अब तू इस गाँव में नहीं रह सकता ।” यह सुनकर उसकी माँ रोने लगी लेकिन क्या कर सकती थी । लोगों ने उसे धक्के मारकर गाँव से बाहर कर दिया । अब भोलू को अपनी करनी का पछतावा होने लगा । उसे अहसास हुआ कि माँ सही कहती थी । मुझे इस तरह अप्रिय सत्य बोलकर लोगों का दिल नहीं दुखाना चाहिए । किन्तु अब क्या ? अब तो उसे गाँव से बाहर निकाला जा चूका था ।
अप्रिय सत्य कभी ना बोले । किन्तु हमेशा सत्य बोले
जंगलों में भटकता – भटकता भोलू एक दुसरे राज्य में पहुँच गया । सामने ही राजा की सवारी जा रही थी अतः उसने सीधे जाकर राजा से विनती की कि उसे अपने यहाँ नौकर रख ले । राजा दयालु था सो मान गया और उसने उसे पहरेदार के रूप में नियुक्त कर दिया । भोलू था तो भोलू ! जब तक सब जागते वह भी जागता रहता और जैसे ही सब सो जाते वह भी सो जाता था ।
ऐसे सोते हुए उसने एक दिन रात को एक सपना देखा कि राजा एक उस दिन शिकार पर गये । जंगल में मुसलाधार वर्षा हुई और नदी में बाड़ आ गई और राजा बहकर निकल गये । जब सुबह उसकी नींद खुली तो उसने देखा कि महाराज शिकार पर जा रहे है । वह तुरंत उनके पास गया और बोला – “ महाराज ! आज आप शिकार पर मत जाइये । आज दूर कहीं बहुत तेज बारिश होने वाली है, जिससे नदी में बाड़ आ सकती है और आपके प्राण संकट में आ सकते है ।” राजा ने थोड़ा सोचा और बोला – “ ठीक है मैं तुम्हारी बात मान लेता हूँ किन्तु यह सब तुम कैसे जानते हो ?” भोलू बोला – “ महाराज मैंने आज रात को सपना देखा था और मेरा हर सपना सत्य होता है ।”
राजा ने इस बात की पुष्टि करने के लिए अपने एक सेवक को भेजा और अपनी योजना बदल दी । सेवक द्वारा तत्थ्य की पुष्टि करने पर पता चला कि बात सही थी । इस आकस्मिक बाड़ के कारण कई लोग बह गये है और किसानों का बहुत नुकसान हुआ ।
यह सुनकर राजा ने भोलू को राज दरबार में बुलाया और पुरस्कार देकर सम्मानित किया और कहा – “ जाओ तुम्हे नौकरी से निकाला जाता है ।”
अब वेताल विक्रम से बोला – “ बता विक्रम राजा ने भोलू को पहले तो पुरस्कार दिया और फिर नौकरी से क्यों निकाल दिया ?”
विक्रम बोला – “ वेताल ! राजा ने उसे पुरस्कार इसलिए दिया क्योंकि उसने उसकी जान बचाई । किन्तु सेवक के कर्त्तव्य के नाते उसे रात्रि को सोना नहीं चाहिए था । जो कि उसने किया । अतः अपने कर्तव्य का ठीक से निर्वाह नहीं करने के कारण राजा ने उसे नौकर से निकाल दिया ।”
यह सुनकर वेताल बोला – “ तू बोला तो ठीक पर बोला क्यों ? तू बोला और मैं गया ।” यह कहकर वेताल हमेशा की तरह वेताल फिर उड़ गया ।
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