कच और देवयानी का प्रेम प्रसंग

असुरों से बार – बार युद्ध करके देवता बोखला चुके थे, क्योकि असुराचार्य शुक्राचार्य संजीवनी विद्या जानते थे । जिससे वह असुरों को मरने के बाद भी फिर से जिन्दा कर देते थे । इसलिए देवताओं ने षड्यंत्र करके अपने गुरु बृहस्पति से संजीवनी विद्या का तोड़ जानने का आग्रह किया । बृहस्पति ने अपने […]

कच और देवयानी का प्रेम प्रसंग Read More »

वासना की तृप्ति | राजा ययाति की कथा

महाभारत का एक पौराणिक कथानक है । अमरावती में चन्द्रवंश में राजा नहुष हुआ करते थे । राजा नहुष के छः पुत्र याति, ययाति, सयाति, अयाति, वियाति और कृति थे । याति प्रारम्भ से ही विरक्त स्वभाव के थे अतः महाराज नहुष ने अपने द्वितीय पुत्र ययाति को उत्तराधिकारी घोषित कर राजगद्दी पर बिठा दिया

वासना की तृप्ति | राजा ययाति की कथा Read More »

ज्ञानयोग और कर्मयोग का संयोग | वैराग्य की कहानी

आजकल अधिकांशतः देखने में आता है कि हर शहर, गाँव, गली और मुहल्ले में भागवत कथा और रामकथा का बोलबाला है । मैं नहीं कहता कि कथा करना गलत बात है, लेकिन ऐसी कथा भी किस काम की, जिससे लोगों के व्यक्तित्व में कोई परिवर्तन न हो ।   मात्र उपदेश सुनने से जन्म –

ज्ञानयोग और कर्मयोग का संयोग | वैराग्य की कहानी Read More »

सावित्री और सत्यवान की कथा

सावित्री और सत्यवान की कथा महाभारत के वनपर्व में मिलती है जिसमें युधिष्ठिर मार्कंडेय ऋषि से पूछते है कि “ क्या द्रोपदी के समान पतिव्रता नारी कोई हुई है ?”   तब मार्कंडेय ऋषि युधिष्ठिर को यह कथा सुनाते है ।   प्राचीन समय की बात है । दक्षिण में अश्वपति नाम का एक राजा

सावित्री और सत्यवान की कथा Read More »

अपूर्व संयम और सहिष्णुता की कहानी

अपने कुशल प्रशासन और बोद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में सम्राट अशोक इतिहास प्रसिद्ध है । उनके दो रानियाँ थी – देवी, पद्मावती, कारुवाकी और तिष्यरक्षिता । सम्राट अशोक को रानी पद्मावती से एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसका नाम राजकुमार कुणाल रखा गया । राजकुमार कुणाल बड़े ही विनम्र, आज्ञाकारी और पितृभक्त

अपूर्व संयम और सहिष्णुता की कहानी Read More »

आत्मज्ञान का स्वाद | दूध की मिठाई की कहानी

एक बार एक पंडित जी हीरापुर नाम के गाँव में शादी करवाने जा रहे थे । रास्ता लम्बा था और पंडित जी के पास कोई साधन भी नहीं था । पंडित जी बूढ़े भी हो चले थे, इसलिए जगह – जगह पेड़ों की शीतल छाव में विश्राम करते हुए जा रहे थे ।   पंडित

आत्मज्ञान का स्वाद | दूध की मिठाई की कहानी Read More »

अर्जुन की निष्ठा | महाभारत की कहानी

महाभारत का एक प्रसंग है । तब पांडव अज्ञातवास काट रहे थे । पृथापुत्र अर्जुन का नियम था कि वह प्रतिदिन भगवान शिव का पूजन करके ही भोजन ग्रहण करते थे । इसके साथ ही सभी पांडव भाइयों का नियम था कि एक साथ ही भोजन करेंगे । एक दिन भोजन का समय हो चला

अर्जुन की निष्ठा | महाभारत की कहानी Read More »

डाकू रत्नाकर और देवर्षि नारद की कहानी

एक पौराणिक कथानक है । एक समय की बात है रत्नाकर नाम का एक डाकू (दस्यु) हुआ करता था । अपने परिवार के भरण पोषण के लिए रत्नाकर चोरी, लूटपाट और राहगीरों की हत्या भी करता था । एक बार एक श्रेष्ठी जंगल के रास्ते से पालकी में बैठकर जा रहा था । घने जंगलों

डाकू रत्नाकर और देवर्षि नारद की कहानी Read More »

दानवीर कर्ण की उदारता | महाभारत में कर्ण की कथा

महाभारत का दृष्टान्त है । एक बार भगवान श्रीकृष्ण पांडवो के बीच बातों ही बातों में कर्ण की दानवीरता और उदारता की बड़ी प्रशंसा कर रहे थे । कर्ण की प्रशंसा बार – बार सुन अर्जुन ईर्ष्या से जलने लगा ।   अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा – “ मधुसुदन ! आप जानते है

दानवीर कर्ण की उदारता | महाभारत में कर्ण की कथा Read More »

मृत्यु से भय क्यों – राजा परीक्षित की कथा

सातवें दिन मरने वाले राजा परीक्षित को शुकदेवजी श्रीमद्भागवत सुना रहे थे । छः दिन हो चुके थे और अगले ही दिन राजा परीक्षित को तक्षक नाग डसने वाला था । छः दिन तक श्रीमद्भागवत सुनने के बाद भी राजा का शोक और भय दूर नहीं हुआ । राजा का विचलित मन देख शुकदेवजी ने

मृत्यु से भय क्यों – राजा परीक्षित की कथा Read More »