आध्यात्मिक डायरी लिखने के बारे में चर्चा करने से पहले आपको इसकी उपयोगिता जान लेना चाहिए । असल में हम वही कार्य करते है जिसे हम या तो उपयोगी समझे या फिर मनोरंजक। इन दो प्रकार के कार्य के अलावा ऐसा कोई कार्य नहीं जो एक सामान्य इन्सान करता होगा । फिर चाहे वह कार्य अच्छा या बुरा ही क्यों ना हो ।
अच्छा कार्यों के लिए कबीरदास जी ने कहा है कि “ काल करे सो आज कर, आज करे सो अब । पल में परलय होयरि, बहुरि करेगो कब ।।” किसी विद्वान ने ठीक ही कहा है, “ बुरे काम को हमेशा कल पर टाल दो और अच्छे काम को कल पर कभी मत टालो ।” लेकिन अक्सर हमारे साथ होता इसका उल्टा है । अच्छे कार्य को शुरू करने का हमें कभी समय ही नहीं मिलता और बुरे कार्यों को अंजाम देने में शिद्दत से लगे रहते है । अच्छे कार्य का शुभारम्भ करने से पहले हम दस जनों से सलाह ले लेते है किन्तु बुरे कार्यों के लिए कभी किसी से पूछते तक नहीं कि इसका परिणाम सही होगा या गलत ।
सामान्यतया देखा जाये तो हमारे मस्तिष्क में कभी अच्छे तो कभी बुरे विचार आते है, जो कि हमारी संगति व परिस्थिति पर निर्भर करते है । हमारे मस्तिष्क में हर समय शुभ विचार आये इसके लिए जरुरी है कि हम हर समय आत्मस्मृति और ईश्वर स्मृति में बने रहे, जो कि लम्बे समय तक योग के अभ्यास द्वारा ही संभव है । किन्तु इसके विकल्प के रूप में आप अपनी एक आध्यात्मिक डायरी बना सकते है । जिसे आप प्रतिदिन स्वाध्याय के समय अथवा शयनकाल में लिख सकते है तथा समय – समय पर पढ़ सकते है । यह आध्यात्मिक डायरी आपकी आध्यात्मिक सलाहकार हो सकती है ।
दैनिक जीवन के कुछ अनुभव बहुत ही महत्वपूर्ण होते है, जिन्हें आप अपनी डायरी में लिखकर याद रख सकते है और दूसरों के साथ साझा करके उनको भी लाभान्वित कर सकते है । इसके अलावा अपनी आध्यात्मिक डायरी में आप क्या – क्या लिख सकते है और कैसे लिख सकते है । इसकी सम्पूर्ण जानकारी मैं अपने अनुभव के आधार पर निम्नलिखित पंक्तियों में दे रहा हूँ । आप अपनी सोच से इसमें परिवर्तन करके इसे और भी अच्छा और उपयोगी बना सकते है ।
- आपकी आध्यात्मिक डायरी का कवर भी आध्यात्मिक होना चाहिए । जो दिखने में सुन्दर व मन को प्रसन्न करने वाला हो साथ ही प्रेरणादायक भी हो ।
- आपकी आध्यात्मिक डायरी के मुख्यपृष्ट पर आपके गुरु या किसी सदग्रंथ के प्रेरणाप्रद वाक्य होने चाहिए ।
- इसके पश्चात् हम अपनी दैनिक दिनचर्या बना सकते है । जिसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक की कार्ययोजना का विवरण होता है ।
- यहाँ से आध्यात्मिक डायरी प्रतिदिन के हिसाब से शुरू होती है । अब आप अपनी डायरी में दिन – दिनांक के साथ अपने प्रतिदिन के संकल्प व सुविचारों को लिख सकते है । साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक आदि साधनाओं की योजना बना सकते है । स्वाध्याय के साथ अपने अच्छे विचारों को संकलित कर सकते है । साथ ही आप अपने दैनिक जीवन के अनुभव लिख सकते है ।
- डायरी लिखने का समय सुबह स्वाध्याय के साथ तथा रात्रि को सोने से पहले का समय उत्तम है । इसके अलावा आप अपनी सुविधा के अनुसार किसी भी समय का चयन कर सकते है ।
- जो व्यक्ति लेखक बनाना चाहता है उसके लिए तो डायरी लिखना ही नहीं हर समय साथ रखना भी आवश्यक हो जाता है । क्योंकि जहाँ कहीं भी जो कुछ भी दिखे उसे नोट करे । उस पर विचार करें । उस परिस्थिति की बारीकी में जाएँ । और अंततः जो उपयोगी लगे, उसे लिखना । यही एक लेखक करता है ।
यदि आप अपनी आध्यात्मिक डायरी लिख रहे है तो इसे संभालकर रखे तथा नियमित लिखे । यह आपकी आत्मिक उन्नति में बहुत सहायक सिद्ध हो सकती है । अपनी आध्यात्मिक डायरी को जिस किसीको देखने की अनुमति न दे, साथ ही इसे हर किसी की पहुँच से दूर रखे । यदि आप अपनी डायरी किसी के साथ शेयर भी करना चाहते है तो वह आपका विश्वस्त होना चाहिए । जिस किसीको दिखाने से वह आपमें गलतियाँ निकाल सकता है जिससे हो सकता है आपमें नकारात्मक सोच घर कर जाये या अपने इष्ट के विश्वास में कमी आये । इसलिए अपने किसी विश्वस्त मित्र के अलावा किसी अन्य के साथ अपनी डायरी शेयर ना करे ।